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देश पर उठी हर नज़र को मिलेगा करारा जवाब: राजनाथ सिंह ने पहलगाम हमले पर दिखाई कड़ी प्रतिक्रिया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पहलगाम आतंकी हमले पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि जो भारत की तरफ आंख उठाएगा, उसे मुंहतोड़ जवाब मिलेगा। उन्होंने पीएम मोदी की नेतृत्व क्षमता की तारीफ की और भारत की असली ताकत उसकी संस्कृति और अध्यात्म को बताया।

नई दिल्ली – रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर सख्त लहजे में जवाब दिया। संस्कृति जागरण महोत्सव के मंच से बोलते हुए उन्होंने कहा कि देश की रक्षा केवल सीमाओं पर नहीं, बल्कि हर उस कोशिश के खिलाफ है जो भारत की एकता और अखंडता को चुनौती देती है।

उन्होंने कहा, “एक रक्षा मंत्री के तौर पर मेरा कर्तव्य है कि मैं अपनी सेना के साथ खड़ा रहूं और देश की सीमाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करूं। जो भी भारत की ओर आंख उठाएगा, उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।”

राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व शैली की भी सराहना की। उन्होंने कहा, “आप सभी प्रधानमंत्री जी की कार्यशैली और निर्णय लेने की दृढ़ता से परिचित हैं। वह जोखिम उठाने से पीछे नहीं हटते, और यही वजह है कि देश आज आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जैसा आप चाहते हैं, वैसा होकर रहेगा — मैं आपको आश्वस्त करता हूं।”

आतंकी हमले के बाद भारत का जवाब

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए थे। इस अमानवीय घटना के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पीड़ितों को न्याय मिलेगा और दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा। इसके बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त फैसले लिए हैं।

संस्कृति और अध्यात्म भी हैं भारत की असली ताकत

राजनाथ सिंह ने भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को भी देश की असली ताकत बताया। उन्होंने कहा, “हमारी सेना हमारी बाहरी रक्षा करती है, लेकिन संत समाज इस राष्ट्र की आत्मा की रक्षा करता है। भारत की शक्ति केवल तलवार में नहीं, बल्कि तपस्या और संस्कृति में भी है। ये वह भूमि है, जहां अर्जुन जैसे योद्धा भी जन्मे और बुद्ध जैसे योगी भी।”

उन्होंने आगे कहा, “हमारा इतिहास ऐसे ऋषियों से भरा पड़ा है जिन्होंने तप से योद्धाओं को प्रेरणा दी, और अपने प्राणों की आहुति देकर संस्कृति और सत्य की रक्षा की। भारत वह भूमि है जहां तलवार भी तपस्या से पवित्र होती है।”

उन्होंने राजनीति को लेकर भी चिंता जताई और कहा, “राजनीति शब्द ‘राज’ और ‘नीति’ से मिलकर बना है, लेकिन आज यह अपने मूल अर्थ को खोता जा रहा है। इसे फिर से मूल्यों और आदर्शों से जोड़ना ज़रूरी है। इसके लिए संतों और समाज का आशीर्वाद चाहिए।”

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